देवी नहीं, मानवी ही समझो
देवी नहीं, मानवी ही समझो, देवी कहकर बहुत ठगा है। बेटी, बहिन, पत्नी, माता का, हर पल नर को प्रेम
Read Moreदेवी नहीं, मानवी ही समझो, देवी कहकर बहुत ठगा है। बेटी, बहिन, पत्नी, माता का, हर पल नर को प्रेम
Read Moreतेरी खुशी में आज मगन में। उड़ ले पंक्षी मुक्त गगन में।। बचपन तेरा घुटकर बीता। मजबूरी में दूध था
Read Moreअतीत पीछे छूट गया है, वर्तमान में कोई नहीं है। नर से दूर रहकर नारी, नींद चैन की सोई नहीं
Read Moreअकेले-अकेले नीरस जीवन, साथ में कोई आ जाओ तो। बिना हिचक सब कर दो अर्पण, प्रेम किसी का पा जाओ
Read Moreतुम्हें प्रेम हम करते कितना? इसका कोई माप नहीं है। कण-कण में बस तुम दिखती हो, नाम का केवल जाप
Read Moreकल प्राप्त एक समाचार के अनुसार मेरे एक साथी अध्यापक की भांजी की वैवाहिक विवादों के कारण हत्या कर दी
Read Moreकोरोना के काल में, आवागमन है बन्द। मंद-मंद जीवन चले, बाजार हुए है मंद।। घर सबको अच्छा लगे, घर में
Read Moreआँखों के खुलते ही। भोर में उठते ही। तुम से ही रोशनी, बाहर निकलते ही। कोयल ज्यों गाती हो। बहुत
Read Moreनारी! नहीं केवल श्रद्धा हो, सृष्टि का आधार हो। शक्ति रूपिणी, माँ दुर्गा हो, प्रेम की पारावार हो। शहनशक्ति की
Read Moreतेरे बिन, मैं रहा अधूरा, प्रेमी संग तू पूरी है। संग साथ की चाहत मेरी, तेरी चाहत दूरी है। प्रेम
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