लोक कथा – भूतिनी
प्राचीन काल की बात है। एक गाँव में एक संयुक्त परिवार रहता था। नई पीढ़ियों के साथ-साथ परदादा, परदादी, दादा-दादी,
Read Moreप्राचीन काल की बात है। एक गाँव में एक संयुक्त परिवार रहता था। नई पीढ़ियों के साथ-साथ परदादा, परदादी, दादा-दादी,
Read Moreमुरादाबाद जंक्शन का वातानुकूलित उच्च श्रेणी प्रतीक्षालय सामान्य रूप से भरा था। न तो बहुत अधिक भीड़ थी कि नवीन
Read Moreबेटी को हम बेटी समझें, भार मान क्यूँ बैठे हैं। कोरे हम आदर्श बखानें, व्यर्थ ही उससे ऐंठे हैं।। जिस
Read Moreजहाँ चाहो तुम, रहो वहाँ पर, साथ की, ना मजबूरी है। स्वस्थ रहो, और व्यस्त रहो, कुछ मस्ती भी तो
Read Moreसब कहते काली, काली है, वह, कानूनन घरवाली है। सुधा समझ जिसे, पीने चले थे, निकली विष की प्याली है।।
Read Moreतुमने जीना सिखलाया था, तुम बिन जीना सीख न पाए। कविता अब लिखते हैं केवल, तुम बिन हमने गान न
Read Moreकुछ पल का ठहराव ये पथ में, ठहरो, पर, ये, धाम नहीं है। जीवन सरिता बहती प्रतिपल, रूकने का कोई
Read Moreप्रेम नहीं है कोई सौदा, बदले में कोई आश नहीं है। प्रेम है सबसे अच्छी पूजा, और कोई अरदास नहीं
Read Moreतुमसे जीना सीखा हमने, तुम बिन जीवन मान न पाए।्र लिखना-पढ़ना ही आता था, तुमने जीवन गान सिखाए।। तुम बिन
Read Moreनहीं कोई है, संगी-साथी, नहीं किसी से यारी है। जहाँ जरूरत, वह खुबसूरत, जाने की तैयारी है।। जहाँ भेज दें,
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