क्रूरता की हद पार कर गईं
मौत भी हमको नहीं डराती शिकवा शिकायत का पल बीता। जीवन रह गया रीता-रीता। विश्वास घात ने विश्वास डिगाया, मिलतीं
Read Moreमौत भी हमको नहीं डराती शिकवा शिकायत का पल बीता। जीवन रह गया रीता-रीता। विश्वास घात ने विश्वास डिगाया, मिलतीं
Read Moreधोखे की तेरी चोट थी गहरी अकेलेपन से मेल हो गया। खुद से खुद को प्रेम हो गया। विश्वास घात
Read Moreसमानता का संघर्ष नहीं है। मिलने से बड़ा हर्ष नहीं है। नर-नारी के दिल जब मिलते, उनसे बड़ा उत्कर्ष नहीं
Read Moreहम प्यार तुम्हें करते कितना? समझा नहीं या समझ न पाए? तुमने भले ही हो भरमाया? हमने तुम्हारे गाने गाए।
Read Moreसहयोग सभी का करते हैं हम किसी को गले लगा नहीं पाए सबको पल पल सीख दे रहे, खुद को
Read Moreबातों से ना मंजिल मिलती, पल-क्षण नित चलना होगा। नव संवत शुभ हो, इस खातिर, कर्म तुम्हें करना होगा।। कैसा
Read Moreजागरूकता, प्रगतिशीलता, समानता, स्वतंत्रता रह जाते केवल नारे हैं अंधविश्वास, परंपराओं, समाज व धर्म से जो हारे हैं किनारे पर
Read Moreधोखा देकर, फुसलाना भी, दुष्कर्मो में आता है। मजबूरी में कराना कुछ भी, बलात्कार कहलाता है।। सच जानकर, निर्णय का,
Read Moreप्रेम दिनों-दिन बढ़ता जाता, आँखें तुम्हारी गहरी हैं। समय भले ही बहुत है बीता, याद आज भी ठहरी हैं।। यादों
Read Moreजब साथ में होती घरवाली, तब रोज ही मनती दीवाली। जब पास में अपने होती है। वह सपने नए नित
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