तब रोज ही मनती दीवाली
जब साथ में होती घरवाली, तब रोज ही मनती दीवाली। जब पास में अपने होती है। वह सपने नए नित
Read Moreजब साथ में होती घरवाली, तब रोज ही मनती दीवाली। जब पास में अपने होती है। वह सपने नए नित
Read Moreवर्तमान समय में सोशल मीडिया पर भक्तों की चर्चा जोर-शोर से हो रही है। कुछ अज्ञानी लोग भक्त शब्द का
Read Moreइक दूजे के हित ही बने हैं, नर हो या फिर नारी है। संघर्ष में ना समय नष्ट कर, प्रेम
Read Moreपरिस्थितियों की दासी बनीं तुम, मैं तो पथ पर खड़ा हुआ हूँ। तुम वायदे से, मुकरी मौन हो, मैं वचनों
Read Moreभले ही आगे बढ़ रहा हूँ ,किन्तु मुख मोड़ा नहीं है। दूर तो मैं आ गया हूँ , पर तुम्हें
Read Moreआकर्षण का समय है बीता, विशुद्ध प्रेम की वेला है। संबंधों का जाल नहीं ये, दिल से दिल का मेला
Read Moreसाथ भले ही, आए न कोई, हम बढ़ते ही जाएंगे। पथिक हैं हम, पथ ही साथी, पथ का साथ निभाएंगे।।
Read Moreकण्टक पथ के पथिक हैं हम, खतरों से अठखेली है। सभी को हम हैं, मित्र मानते, सभी को माने सहेली
Read Moreसबके सुख की बातें करते, लेकिन दुःख ही बाँट रहे हो। देख रहे हो, सबकी कमियाँ, अपने को ना आँक
Read Moreबाहर से ही नहीं, सखी तू, अन्दर से भी काली है। पापों की तू रचना काली, कभी न बने घरवाली
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