गीत/नवगीतपद्य साहित्य

साथ भले ही, आए न कोई

साथ भले ही, आए न कोई, हम बढ़ते ही जाएंगे।
पथिक हैं हम, पथ ही साथी, पथ का साथ निभाएंगे।।

अविचल होकर पथिक को बढ़ना।
बाधा कितनी भी, सघन, न डरना।
साथ भले ही मोहक प्यारे!
राह में तुझको, नहीं ठहरना।
सुख-सुविधाओं के आकांक्षी, क्यूं कर साथ निभाएंगे।
साथ भले ही, आए न कोई, हम बढ़ते ही जाएंगे।।

चलना ही बस मूलमंत्र है।
नहीं है, साधन, नहीं यंत्र है।
साथी ने भी, पथ है छोड़ा,
साथ हमारे, नहीं तंत्र है।
सुविधाओं में कैद हुए तुम, हम तो अलख जगाएंगे।
साथ भले ही, आए न कोई, हम बढ़ते ही जाएंगे।।

धन की हमको चाह नहीं थी।
पद की भी परवाह नहीं थी।
विश्वास का संबंध था चाहा,
अपयश पर भी आह! नहीं थी।
किसी से कोई, माँग नहीं है, सबको प्रेेम लुटाएंगे।
साथ भले ही, आए न कोई, हम बढ़ते ही जाएंगे।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)