कविता

अवसान होना चाहिए

परिवर्तन सृष्टि का नियम है
यह सबको आभास होना चाहिए,
कुछ भी हो,कैसे भी हो मगर
गलत परंपराओं का
अवसान होना चाहिए।
स्तर और स्वरूप कैसा भी हो
भले ही वह किसी व्यक्ति,
समाज, क्षेत्र या राष्ट्र का मसला हो,
जो गलत है हर स्तर पर उसका
खुला विरोध होना चाहिए,
हर एक को अपने स्तर से
उसके खिलाफ खड़ा होना चाहिए।
जो गलत है वह गलत ही है
सही नहीं कहा जा सकता,
पद, प्रतिष्ठा, अहम या दहशत से
गलत कभी सही नहीं हो सकता।
जो भी गलत परंपराएं हैं
कभी टिक नहीं सकती,
विरोध की दीवार
जो बन जायें यदि हम सब
बहुत देर तक ये कभी
ठहर नहीं सकती।
बस। हमें फैसला लेना ही पड़ेगा
गलत को सरेआम गलत
तो कहना ही पड़ेगा।
मुँह छुपाकर ये तो गलत है
कहने भर से कुछ नहीं होगा,
हौसला और एकजुटता से ही
हर गलत परंपरा का अवसान होगा।
सिर्फ़ होना चाहिए का बस
बेसुरा राग गाने की बजाय,
हर एक को खुद आगे आना होगा
लक्ष्य पाने तक नहीं रुकना होगा
तब कहीं जाकर ही
गलत परंपराओं अवसान होगा।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921