यादें
यादें विस्मृत मन की परत सी होती हैं.. पन्नै दर पन्ने अचानक किताब बन जाती है कभी अधजली ,कभी तीक्ष्ण
Read Moreगाँव मोहल्ले में चुनाव की चर्चा जोर शोर से चल रही थी। “भाई !अबकी टिकट किस आधार पर मिलेंगे अवतार
Read Moreढाई बरस का मंकू भूख के कारण बार बार अपनी माँ लाली को झिंझोड़ रहा था , पर पास बैठी लाली
Read More“रामदीन! रामदीन!,अरे कहाँ हो?” “भाई,नाम पुकारा जा रहा है तुम्हारा।” “जल्दी आओ! निकल जायेंगे डॉक्टर साहब।” पर्ची बनाने वाला फीस
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