बसंत आ गई
ठंड गई, बसंत आ गई,पीले सरसों, बहार छा गई! देवर कहता, भौजाई से,भाभी आओ, फागुन आया!कैसे आऊं, भाभी कहती,रंग बसंती,
Read Moreयह धूप भी,बड़ी निर्दयी है,जरूरत होती है,तब नहीं निकलती है,जब जरूरत नहीं होती,तब आंँखें फाड़कर,देखा करती है,ठीक तुम्हारी तरह! आज
Read Moreएक खानदानी अमीर जिसके पिता और दादा ने चाँदी की थाली और सोने के चम्मच में खिलाया था। सेठ सोच
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