ग़ज़ल
मौत के बिन ही मर के मत बैठोहाथ पे हाथ धर के मत बैठो जब तलक जान शेष है तब
Read Moreचाल चलन चेहरा करनी कथनी किरदारबदला वक्त बदल देता है क्या क्या यार जितनी बार मिलाया हाथ भरोसे सेहमने अक्सर
Read Moreजब से उसने दिल होने का फ़र्ज़ निभाना छोड़ दियादिल ने भी उसकी बातों से सदमा खाना छोड़ दिया ख़ुदग़र्ज़ी
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