बेटी का दर्द
में उडने के सपने संजोती रही,वो मेरे पंख काटते रहे। मे चन्द खुशियां तलाशती रही,वो मुझे घांव बांटतें रहे॥ कुछ
Read Moreमें उडने के सपने संजोती रही,वो मेरे पंख काटते रहे। मे चन्द खुशियां तलाशती रही,वो मुझे घांव बांटतें रहे॥ कुछ
Read Moreजाने किस तलाश मे थी, वो खामोश आंखें सोच रही थी अपने अतीत के बारे मे, या सहमी थी भविष्य
Read Moreयूं धर्मो के नाम पर, गर हम बंटे ना होते ये मंदिर,ये मस्जिद के झगडे ना होते। बेगुनाहों का खून
Read Moreपंच कर रहे प्रपंच, जनता त्राहि त्राहि करे। भारती का दर्द भला, कौन हरे कौन हरे।। धर्म कर रहा विलाप,
Read Moreतुम मुस्काते रहना , बदलेगें ये हालात सनम । हर हाल में हम खुश है, जब तुम हो साथ सनम
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