लेखक की स्वतंत्रता बनाम संपादकीय नीति: बहस के नए आयाम
संपादक आमतौर पर अनूठी और मौलिक रचनाएँ चाहते हैं ताकि उनकी पत्रिका की विशिष्टता बनी रहे। दूसरी ओर, लेखकों को
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Read Moreशादी एक पवित्र और भावनात्मक अवसर होती है, जिसमें दो परिवारों का मिलन होता है। इस अवसर पर संगीत का
Read Moreस्वार्थ भरी इस भीड़ में, खोए अपने लोग।चाहत की इस दौड़ में, छूट गए सब योग॥ सत्य हुआ अब मौन
Read Moreजल संरक्षण एक सामूहिक जिम्मेदारी है। पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक तकनीकों को मिलाकर जल संकट से बचा जा सकता है।
Read Moreजीवन पिच के गेम में, भरे पड़े है ट्विस्ट।अपने ही जब आउट करें, छा जाती है मिस्ट।। जीवन की पिच
Read Moreसमाज में कितना पतन बाकी है? यह सुनकर दिल दहल जाता है कि कोई बेटा अपने ही माता-पिता की इतनी
Read Moreकहावत “जब तक कुआँ सूख नहीं जाता, हमें पानी की कीमत का पता नहीं चलता” हमें इस बात की याद
Read Moreबढ़ते तापमान से कृषि, जल संकट, सार्वजनिक स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। फरवरी में असामान्य रूप
Read Moreभारत में 2004 से पहले सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना (OPS) के तहत पेंशन दी जाती थी। इसके तहत—
Read Moreडिजिटल युग अब दौड़ता, बदल-बदलकर चाल।जो सीखे, वो बढ़ चले, चमके उसका भाल।। लाइकों की भीड़ में, खोया सबका ध्यान।आभासी
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