Author: डॉ. सत्यवान सौरभ

पुस्तक समीक्षा

बालमन का सुन्दर विश्लेषण करती है बाल-प्रज्ञान* 

सन् 1989 में हरियाणा में जन्मे डॉ. सत्यवान सौरभ बालसाहित्य के एक सुपरिचित हस्ताक्षर हैं। साहित्यकार, पत्रकार और अनुवादक डॉ.

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भाषा-साहित्य

लेखनी को पलने और बढ़ने का माहौल देता उत्तराखंड का ‘लेखक गांव’

‘लेखक गांव’ लेखकों, कवियों, साहित्यकारों और अन्य रचनाकर्मियों द्वारा महसूस की जा रही व्यावहारिक कठिनाइयों का निवारण करने की ओर

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स्वास्थ्य

एंटीबायोटिक प्रतिरोध 21वीं सदी का एक नया महामारी खतरा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वैश्विक स्वास्थ्य के लिए शीर्ष 10 खतरों को जारी किया, जिनमें से एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (एआर)

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राजनीति

बर्तनों की कला की पुनःप्राप्ति: कुम्हारों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिये प्रयास

बदलते दौर में भारत के  गांवों में चल रहे परंपरागत व्यवसायों को भी नया रूप देने की जरूरत है।  गांवों

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भाषा-साहित्य

क्यों संदिग्ध है अकादमी पुरस्कारों की वार्षिक गतिविधियां ?

साहित्य किसी भी देश और समाज का दर्पण होता है। इस दर्पण को साफ़-सुथरा रखने का काम करती है वहां

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