”’रणभूमि तुम्हे पुकार रही ,,,
अर्जुन उठो आगे बढ़ो रणभूमि तुम्हे पुकार रही धर्म पर संकट है छाया दुर्योधन ने पाँव पसारे, पितामह लाचार हुए
Read Moreअर्जुन उठो आगे बढ़ो रणभूमि तुम्हे पुकार रही धर्म पर संकट है छाया दुर्योधन ने पाँव पसारे, पितामह लाचार हुए
Read Moreमैंने हार नहीं मानी है ये रण जीतने की ठानी है क्षण क्षण ऐसे बीता है जैसे जीवन घट रीता
Read Moreरोज दिन उठता है रोज दिन ढलता है काफिला परिँदोँ का ऐंसे ही चलता है पेड चुपचाप खडे रहते, थपेडे
Read Moreमन हारा तो मैँ हारा मन जीता तो मैँ जीता पल पल क्षण क्षण जीवन संग्राम, मन के बाहुबल मेँ
Read Moreघट कालकूट का पडे पीना, चाहे छलनी कर दे कोई सीना, मैँने इतना ठान लिया है, जीवन को रण मान
Read Moreमेरा हिँदुत्व केवल धर्म नहीँ है, पंथ नहीँ है, वर्ग नहीँ है, ये मन की विचारधारा है, मुझको प्राणोँ से
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