लघुकथा : पैंतरा
बरामदे में लगे कैक्टस के पौधों को काटते देख रामलाल बोले, “बेटा इतने प्यार से लगाया था तुने। कहाँ-कहाँ से
Read Moreबरामदे में लगे कैक्टस के पौधों को काटते देख रामलाल बोले, “बेटा इतने प्यार से लगाया था तुने। कहाँ-कहाँ से
Read Moreलैपटाप बेटी के हाथों में देख माता -पिता प्रसन्न थे हो भी क्यों न आखिर चीफ़ मिनिस्टर साहब से जो
Read Moreफूल चीख चीख चिल्लाय सब जब तोड़ मंदिर में चढ़ाए फूल डाली झुक झुक जाय मुन्नी को देख रोज मुस्काए
Read Moreबेटा ! तू क्या समझेगा माँ की वेदना कभी तू बेटा है अभी बाप बनेगा कभी पर माँ नहीं बन
Read Moreस्कूल के प्रांगण में ही कोलकत्ता से कलाकार आते थे माँ दुर्गा की मूर्ति बनाने| सब बच्चें चोरी-छिपे बड़े गौर
Read Moreसुधा और अलका दोनों पड़ोसी एक दूजे के सुख दुःख में हमेशा साथ होते। सुधा की बिटिया जब-जब बिमार पड़ती,
Read More“क्या चल रहा आजकल ?” फोन उठाते ही जेठानी पूछीं | “अरे कुछ नहीं दीदी, घर अस्तव्यस्त है उसे ही
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