संसार से भागे फिरते हो
क्यों मन मलिन तेरा सखेयाद किसी की आई है?बैठे हो सरि के कूल परया दिखती परछाई है। क्योंअचंभित हो गए
Read Moreक्यों मन मलिन तेरा सखेयाद किसी की आई है?बैठे हो सरि के कूल परया दिखती परछाई है। क्योंअचंभित हो गए
Read Moreकरती हूँ जिससे मैं अपने मन की बातें,वो एक रफ कॉपी अरु ढेर सारी किताबें। उस रफ कॉपी के पन्नों
Read Moreजहाँ हमारी सीमाओं पर तुम जैसे हों प्रहरी,नहीं किसी में है हिम्मत जो लाँघ सके है देहरी। जल थल नभ
Read Moreआज तूलिका है स्तब्धकह रही हाय!राम धत्त। आज स्याह रंग भीरक्त है उगल रही,पूछती है सभी सेक्या अब भी वही
Read More