बस यूँ ही
हम महिलाएं कुछ भी करने के पहले हजार बार सोचते हैं, बाल पक गए हैं उन्हें डाई करूं तब कहीं
Read Moreउपालंभ आलोचना, मत करिए सरकार।कविता पढ़कर आप सब, देते रहिए प्यार।। मेरे शब्दों की छाँव तलेकभी बैठ जरा क्षण दो
Read Moreराधा राधा भोर शामबरसाने आए श्यामचोरी चोरी चुप चुपराधा को बुलाए हैं। सखियों से बच करआई राधा छिप करभर पिचकारी
Read Moreपता है पापा चारो ओर यह शोर है कि आरंभ है पितृपक्ष।आप ना पापा आप!इन दिनों आएंगे हमारे समक्ष|रहेंगे हमारे
Read Moreहोली का नाम लेते ही सहसा बचपन वाली होली की ही याद आ ही जाती है। माँ, पापा हम सभी
Read Moreन जाने वह यह सबकर लेती थी कैसे?तंगी भरे दिनों में भीरख कंधे पर हाथनिकाल देती थी पैसे। देखता रहता
Read Moreनहीं है ख्वाहिश की दरिया से जा मिलूँ अभी,लोगों की प्यास बुझे कुछ और बहुँ मैं अभी।फेंक दे तू उत्कंठा
Read Moreथोड़ी जरूरी दूरी है करीब आने के लिएवो कहते हैं कि दे जाओ कोई निशानी बिन तेरे हमको है अब
Read More