Author: सविता सिंह 'मीरा'

कविता

तू ही मेरा श्रृंगार

संस्कार,सदाचार विचार,आचारतू ही मेरा श्रृंगार। अलंकार,उपहारआकार निराकार. सब तेरे ही है प्रकारनदी,पोखर ताल तलैया तू ही सबकी खेवईयाशाखा, वल्लरी, द्रुम,

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