लेखनी की आग
आग उगलती लेखनी,मेरी सुबहो शाम। जो बदले युग को सदा,लाये नव आयाम।। लेखन में जब सत्य हो,परिवर्तन का भाव। वही
Read Moreआग उगलती लेखनी,मेरी सुबहो शाम। जो बदले युग को सदा,लाये नव आयाम।। लेखन में जब सत्य हो,परिवर्तन का भाव। वही
Read Moreजियो और जीने दो में ही,जीवन का सम्मान है। सेवा से जीवन की शोभा,मिलता नित यशगान है।। वक़्त कह रहा
Read Moreसंयम का है ही नहीं,किंचित यहां विकल्प। संयम को नित मानना,आगत का संकल्प।। संयम को तो मानकर,मानव बने महान ।
Read Moreगंगा मइया तुम हो पावन,तुम तो हो सबकी मनभावन। तुम हर लेतीं सबके दुख को,देतीं हो फिर सबको सुख को।।
Read Moreजब प्रेम दिखा तब रूप सजा,जब रूप सजा तब प्रेम महान। मन है चहका,दिल है बहका,जब दे नित ही कुछ
Read Moreनैनों से जग देखते,नैन सदा वरदान। नैनों में संवेदना,नैनों में अभिमान ।। नैन अगर करुणा भरे,तब नैनों में नीर। नैनों
Read Moreइंसां होना है कठिन,सुन तू ऐ भगवान। देख परेशानी ज़रा,जीना ना आसान।। इंसां नित ही भोगता,कष्ट,दर्द का शाप। दुख के
Read Moreगर्मी में प्यासे फिरें,बंधु परिन्दे आज। कोई रखता नीर नहिं,कैसा हुआ समाज।। नहीं सकोरे अब रखें,छत,आँगन में सून। खग को
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