संयम के दोहे
संयम का है ही नहीं,किंचित यहां विकल्प। संयम को नित मानना,आगत का संकल्प।। संयम को तो मानकर,मानव बने महान ।
Read Moreसंयम का है ही नहीं,किंचित यहां विकल्प। संयम को नित मानना,आगत का संकल्प।। संयम को तो मानकर,मानव बने महान ।
Read Moreगंगा मइया तुम हो पावन,तुम तो हो सबकी मनभावन। तुम हर लेतीं सबके दुख को,देतीं हो फिर सबको सुख को।।
Read Moreजब प्रेम दिखा तब रूप सजा,जब रूप सजा तब प्रेम महान। मन है चहका,दिल है बहका,जब दे नित ही कुछ
Read Moreनैनों से जग देखते,नैन सदा वरदान। नैनों में संवेदना,नैनों में अभिमान ।। नैन अगर करुणा भरे,तब नैनों में नीर। नैनों
Read Moreइंसां होना है कठिन,सुन तू ऐ भगवान। देख परेशानी ज़रा,जीना ना आसान।। इंसां नित ही भोगता,कष्ट,दर्द का शाप। दुख के
Read Moreगर्मी में प्यासे फिरें,बंधु परिन्दे आज। कोई रखता नीर नहिं,कैसा हुआ समाज।। नहीं सकोरे अब रखें,छत,आँगन में सून। खग को
Read Moreकैसा कलियुग आ गया,बदल गया इंसान। दौलत के पीछे लगा,तजकर सब सम्मान।। बदल गया इंसान अब,भूल गया ईमान पाकर दौलत
Read Moreमाता की चिट्ठी मिली,झंकृत उर के तार। लगता मुझको मिल गया,यह पूरा संसार।। माता की चिट्ठी सुखद,जो लगती उपहार। माता
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