पर्यावरण-संरक्षण के दोहे
बिगड़ा है पर्यावरण,बढ़ता जाता ताप । ज़हरीली सारी हवा,कैसा यह अभिशाप ।। पेटरोल,डीजल खपें,बिजली जलती ख़ूब । हरियाली नित रो
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Read More(1) भारत माँ का लाल हूँ,दे सकता हूँ जान। गाता हूँ मन-प्राण से,मैं इसका यशगान। आर्यभूमि जगमग धरा,बाँट रही उजियार,
Read Moreहे त्रिपुरारी,औघड़दानी,सदा आपकी जय हो। करो कृपा,करता हूँ वंदन,यश मेरा अक्षय हो।। तुम तो हो भोले भंडारी, हो सचमुच वरदानी
Read Moreदिल छोटे,पर मक़ां हैं बड़े,सारे भाई न्यारे ! अपने तक सारे हैं सीमित,नहीं परस्पर प्यारे !! दद्दा-अम्मां हो गये बोझा,
Read Moreअपनी ही करनी का फल तू,भुगत रहा इनसान तूने आज स्वयं का देखो कर डाला अवसान तूने खोजित किया प्लास्टिक,हर
Read Moreनारी सच में धैर्य है,लिये त्याग का सार ! प्रेम-नेह का दीप ले, हर लेती अँधियार !! पीड़ा,ग़म में भी
Read More(1) है दुनिया में जो व्यापक ज्ञान और अध्यात्म की वाहक सदा जो पथ दिखाती है,बनाती नर को जो लायक
Read Moreनीर ईश का रूप है,पंचतत्व का सार। नीर नहीं तो व्यर्थ है,यह सारा संसार।। नीर लिए आशा सदा,नीर लिए विश्वास
Read Moreसत्य-अहिंसा रोशनी,हैं जीवन के सार। लाते हैं जो हर घड़ी,अंतहीन उजियार।। नीति अहिंसा की बड़ी,सचमुच बहुत महान । जीवन की
Read More“मन को कर तू शक्तिमय, ले हर मुश्किल जीत। काँटों पर गाना सदा, तू फूलों के गीत।” मनुष्य का जीवन
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