माता की चिट्ठी “दोहों में”
माता की चिट्ठी मिली,झंकृत उर के तार। लगता मुझको मिल गया,यह पूरा संसार।। माता की चिट्ठी सुखद,जो लगती उपहार। माता
Read Moreमाता की चिट्ठी मिली,झंकृत उर के तार। लगता मुझको मिल गया,यह पूरा संसार।। माता की चिट्ठी सुखद,जो लगती उपहार। माता
Read More(1) मुझे गीता ने सिखलाया,जिऊँ मैं कैसे यह जीवन सुवासित कैसे कर पाऊँ,मैं अपनी देह और यह मन मैं चलकर
Read Moreसकल दुखों को परे हटाकर,अब तो सुख को गढ़ना होगा ! डगर भरी हो काँटों से पर,आगे को नित बढ़ना
Read Moreमंडला–शासकीय गर्ल्स कॉलेज में प्राचार्य प्रो.शरद नारायण खरे के मार्गदर्शन व श्री रूपेश भादे के संयोजन में ईको क्लब–हरित कोर
Read Moreबचपन सबका हँसकर बीते,यह ही बस चाहत है, नहीं रहे वंचित कोय बच्चा,यही मेरा अभिमत है। पालन-पोषण,शिक्षा,शैशव,सब कुछ अब मोहक
Read Moreकैसा कलियुग आ गया,बदल गया इंसान। दौलत के पीछे लगा,तजकर सब सम्मान।। बदल गया इंसान अब,भूल गया ईमान पाकर दौलत
Read Moreमंडला- “अखिल भारतीय साहित्य सदन” के गत दिवस आयोजित ऑनलाइन काव्य सम्मेलन में अनेक रचनाकारों ने अपना काव्य पाठ किया
Read Moreभारत माँ के पूत थे,सचमुच वीर सुभाष। जिन ने माता को दिया,कदम-कदम विश्वास।। अमर शहीदों के लिये,देता हूं संदेश ।
Read Moreजल से ही जीवन चले,जल बिन समझो काल। नहीं बहाओ व्यर्थ जल,वरना होय मलाल ।। हम सदैव से ही यह
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