Author: *प्रो. शरद नारायण खरे

मुक्तक/दोहा

अनुशासन के दोहे

अनुशासन को मानकर,मानव बने महान । अनुशासन संकल्प है,जो लाता सम्मान।। अनुशासन है चेतना,अनुशासन उत्थान। अनुशासन को थामकर,जीना हो आसान।।

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गीत/नवगीत

सैनिक,फौज़ी,जवान,

ऐे सैनिक,फौज़ी,जवान, है तेरा नितअभिनंदन। अमन-चैन का तू पैगम्बर,तेरा है अभिवंदन।। गर्मी,जाड़े,बारिश में भी,तू सच्चा सेनानी अपनी माटी की रक्षा

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समाचार

निराला साहित्य समिति की ऑनलाइन गोष्ठी

मंडला-गत दिवस निराला साहित्य जन कल्याण समिति बरेली- म.प्र. के ऑनलाइन कवि-सम्मेलन का आयोजन  डॉ. लता “स्वरांजलि”(भोपाल) के संचालन में

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