समकालीन गीत
धुंध हो गया सारा जीवन,कुछ भी नज़र नहीं आता ! आशाएं अब रोज़ सिसकतीं,कुछ भी नज़र नहीं आता !! बाहर
Read Moreधुंध हो गया सारा जीवन,कुछ भी नज़र नहीं आता ! आशाएं अब रोज़ सिसकतीं,कुछ भी नज़र नहीं आता !! बाहर
Read Moreमाता सच में धैर्य है,लिये त्याग का सार ! प्रेम-नेह का दीप ले, हर लेती अँधियार !! पीड़ा,ग़म में भी
Read More“तुम तो अपने पति की काबिलियत और उनके गुणों की तारीफ करते हुए नहीं थकती थीं,पर अब क्या हो गया
Read Moreवह हट्टा-कट्टा बॉडी बिल्डर-सा दिखने वाला आदमी चलती हुई बस में दो की सीट पर अकेला फैलकर ऐसे बैठा हुआ
Read Moreसद्य व्याहता मुझे छोड़कर, ओ मेरे मनमीत ! चले गये तुम रिपु से लड़ने, ओ मेरे मनमीत !! हाथों में
Read Moreबेटी तो कोमल कली ,बेटी तो तलवार ! बेटी सचमुच धैर्य है,बेटी तो अंगार !! बेटी है संवेदना,बेटी है आवेश
Read More“पापा आपसे कुछ नहीं बनता है ! दवा भी नहीं पी पा रहे हैं ! और चम्मच में भरी सारी
Read Moreदिल छोटे,पर मक़ां हैं बड़े, सारे भाई न्यारे ! अपने तक सारे हैं सीमित,नहीं परस्पर प्यारे !! दद्दा-अम्मां हो गये
Read More(1) ———- इधर माँ दिवस पर बच्चा दिन भर घर में माँ के नेह को तरसता रहा………… उधर दूसरी ओर समाजसेवी माँ का
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