गठबंधन
अनुबंधों के संबंधों ने , गठबंधन फिर बना दिया व्यालों के परिवारों ने, चंदन को भी विष पिला दिया। देख-देखकर
Read Moreसब कहते हैं-मंहगाई बढ़ गई। कितना सरासर झूठ कहते हैं। इन झूठों के मारे यदि कल शाम तक धरती रसातल
Read Moreमानव शरीर में अत्यंत ‘अल्पसंख्यक’ होने के कारण नाक को आरक्षण की सुविधा मिली हुई है। वह कटती है और
Read Moreपधारो वसंत! तुम हर साल की तरह इस बार भी बिन बुलाए आ गए? बड़े बेशरम हो भाई!! तुम ऋतुराज
Read Moreमैं एक असामाजिक-तत्व हूँ क्योंकि न शराब पीता हूँ और ना ही चाय। चार लोगों में बैठने लायक आदमी नहीं
Read Moreपूछा है शाखों से जड़ों ने, हम बिन चैन क्या पाओगे? सूख गए जो प्राण हमारे, क्या तुम फिर मुसकाओगे?
Read Moreहम अपने दुश्मनों को भी, गले हँसकर लगाते हैं, हुनर दुनियाँ में जीने का, चलो तुमको सिखाते हैं। जो कायल
Read Moreअंधे करते बात यहाँ पर , चश्मदीद गवाही की झूठों के मुँह बात सुनी है, हमने यहाँ सचाई की। भेद
Read Moreअकड़ दीप की देख के मैंने, प्रश्न एक जब उससे पूछा- “किस कारण तू झूम रहा है, किए हुए सिर
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