उन्मुक्त बाजारवाद, उपयोगितावाद और पूंजीवाद के मध्य पिसता हुआ जनमानस
जो व्यक्ति बदलना नहीं चाहते हैं, उन पर मेहनत करना बेकार है! ऐसे व्यक्तियों पर मेहनत करना अपनी स्वयं की
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Read Moreसमझने वाले बिना समझाये भी समझ जाते हैं और नहीं समझने वाले समझाने से भी नहीं समझते. यह दुनिया ऐसी
Read Moreलडखडाते पैरहिलते हुये हाथहर रिश्ते में जैसेहो गये हैं अनाथ झुकी हुई गर्दनवाक् मौन सीपूछने में अशक्तजिंदगी कौनसी सपने अधूरे
Read Moreश्रीमद्भगवद्गीता पर सैकड़ों प्रसिद्ध तथा सैकड़ों अप्रसिद्ध अनुवाद, व्याख्याएँ, टीकाएँ,भाष्य आदि पचासों भाषाओं में हमारे समक्ष उपलब्ध हैं! तुलसीदास की
Read Moreआजादी के पश्चात् हमारे धर्माचार्यों को भी धर्म की अपेक्षा राजनीति में रस अधिक लग रहा है! इसीलिये तो धर्माचार्य
Read Moreधर्मगुरुओं द्वारा जब -जब धर्म, अध्यात्म, योग, कर्मकांड की आड में पाखंड, ढोंग, शोषण, भेदभाव, ऊंच -नीच का गंदा खेल
Read Moreआजकल इन तीन शब्दों को खूब मजाक का विषय बना दिया गया है तथा दुःखी हृदयों से लोगों की सहज
Read Moreसीधे -साधे संत प्रवृत्ति के करुणावान लोग दूसरों के लिये अच्छा बनने के फलस्वरूप खुद के लिये बुरे बन जाते
Read Moreप्रेम हमारी शैली है, प्रेम ही जीवन-दान । कुछ भी कर दें प्रेम-हित, छोड़ अहम् अभिमान ।।1 एक प्रेम के
Read Moreनया मुकाम, अनजानी राहें। संग उत्साह मिले वो जो चाहें।। नई सोच, इरादा बुलन्द है। यह जीवन लगे बस एक
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