दो जून की रोटी
व्यक्ति का जमीनी वास्तविकता से पाला तब पड़ता है जब वह सामाजिक जीवन में भागीदारी सुनिश्चित करता है। व्यवसाय और
Read Moreव्यक्ति का जमीनी वास्तविकता से पाला तब पड़ता है जब वह सामाजिक जीवन में भागीदारी सुनिश्चित करता है। व्यवसाय और
Read Moreआज देखा गौर से उन्हें बड़े दिनों बाद वरना तो हर दिन सरसरी सा बीत जाता है चौबिसों घण्टे का
Read Moreबहुत दूर हो तुम नज़रों से दीवारें भी ऊँची-ऊँची है दरवाज़ों पर भी पहरा है आवाज़ भी लाँघ नहीं पाती
Read Moreकोमल ही नहीं कठोर भी है कि विषम परिस्थितियों में भी खड़ी रहती चट्टानों की तरह डट कर.. मृदुभाषिनी ही
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