कविता – ए चांद…
ए चाँद… रोज़ आते हो गली में खिड़की से झाँककर दिल में लहरें उठाकर निकल जाते हो… तौबा ये इश्क़
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Read Moreअरमानों की चादर-सा तना है आकाश! सपनों-से सितारे जगमगाएँ सारी रात! कुछ टूटे सपने गिरते हैं अनायास! कहीं जगाए उम्मीद
Read Moreपथरीली-सी वो राह जिस पर चलकर घिस लिए थे उसने जानबूझकर अपने तलवे हर उठता क़दम करता है पथरीलापन कम
Read Moreजो तुम ये सोचते हो कि मैं तुम्हें याद नहीं करती तो सही सोचते हो… साँस लेना भी भला कभी
Read Moreदेखो आज कलियुग, मानव से प्यार नहीं, कौन ऐसा सुखी है, संसार में बताइए । काम-क्रोध-लोभ अहंकार से जलते सब,
Read Moreकभी तेरा दिल रखने के लिए, कभी तेरी मासूमियत देखकर, मैंने तेरी बातें मान लीं अपना मन मारकर, आज देखती
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