कविता

बुलाती है मगर जाने का नहीं

बुलाती है मगर जाने का नहीं बढ़ाना है प्रोडक्शन बढ़ा लो मगर क़्वालिटी घटाने का नहीं नहीं होती पांचों उंगुलियां बराबर मगर एक दूसरे से घृणा दिखाने का नहीं हो कोई सुझाव गर मन में बताओ मग़र छुपाने का नहीं Psa Avtec है इक परिवार अपनों से दूरियां बढ़ाने का नहीं होती हैं हर जगह […]

कविता

आस

मेरे जीने की तुम आस हो नब्ज है चल रही जो मेरी उसकी हर इक अहसास हो घायल हैं जिसकी अदा पे हम तुम वो मीठी मीठी प्यास हो था मैं पहले बड़ा तन्हा तन्हा अब मेरे जीने की तुम आस हो रब से है बस इतनी सी दुआ हम तुम सदा साथ साथ हो […]

कविता

वृक्ष

देख वृक्षों की यह मार्मिक दशा जी अब मेरा घबराता है वृक्षों बिना नही है अस्तित्व कोई क्यों मानव समझ नही पाता है जिसने दिया हमको सहारा उसको ही बेसहारा छोड़ जाता है वृक्ष ही जीवन का आधार है इसे ही मानव काटने को तैयार है चाहे धूप हो या फिर भारी वर्षा भूख लगे […]

कविता

कोरोना

हे कोरोना हे कोरोना जरा मेरी बात तो सुनो ना क्या तू चीन देश से आया है वुहान शहर में जन्म पाया है तेरा भय ही सबको छाया है सबने महामारी तुझे बताया है देश दुनिया सामने तेरे नतमस्तक है जहाँ जहाँ होती तेरी दस्तक है सब रिश्ते नातों को तोड़ा है जब से इंसानो […]