उतर आया धरा सावन
उतर आया धरा सावन, जरा दिल खोल आने दो।धरा प्यासी ज़माने की, पिपासा को बुझाने दो।उठा है दर्द मिलने का,
Read Moreउतर आया धरा सावन, जरा दिल खोल आने दो।धरा प्यासी ज़माने की, पिपासा को बुझाने दो।उठा है दर्द मिलने का,
Read Moreहर दर्द सह कर पिता जी , मुस्कुराते आप थे।खुद रहते भूखे प्यासे हम को खिलाते आप थे।पिता छांव बरगद
Read Moreमां से बढ़ कर कुछ नहीं, मां है ईश समान। मां से ही संसार है, तीन लोक की शान।। मां
Read Moreनहीं चाहिये ऐसा जीवन, जिस में नहीं है प्यार भरा। नफरत करता फिरता हो, मन में रहा हो खार भरा।
Read Moreउगता हर दिन सूर्य ज्यों, ऐसे उठिये आप। मन से कसरत कीजिए , करो नहा के जाप।।
Read Moreदेख के झंझावात को ,दिल टूटा तो नहीं है। पकड़ के रखना हाथ,कोई छूटा तो नहीं है। चलना संभल संभल
Read Moreटुकड़े टुकड़े हो गये, बिखर गया परिवार। पहले जैसा अब कहां, रहा दिलों में प्यार। टुकड़े टुकड़े हो गये, अब
Read Moreफागुन आया मस्ती लाया, ऋतु आई है प्यार की। आजा साजन होली खेलें, प्रेम रंग इजहार की। मौसम है अलबेला
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