परिवर्तन से भय कैसा
परिवर्तन से भय कैसा, करनी से फल मिलता वैसा।सत्य कर्म सब दूर हुए हैं, भगवन भी मजबूर हुए हैं।जैसा बीजा
Read Moreपरिवर्तन से भय कैसा, करनी से फल मिलता वैसा।सत्य कर्म सब दूर हुए हैं, भगवन भी मजबूर हुए हैं।जैसा बीजा
Read Moreलगी दिल की मुझे जब से मिलाने आ रहा सावन।उठी है पीर यादों की ,जताने आ रहा सावन। पड़े झूले
Read Moreकरुणामय मन सा हो के, प्रीत लगाना सीख लो।दीन दुखी को गले लगाके,मीत बनाना सीख लो। छोड़ दे नफरत का
Read Moreउतर आया धरा सावन, जरा दिल खोल आने दो।धरा प्यासी ज़माने की, पिपासा को बुझाने दो।उठा है दर्द मिलने का,
Read Moreहर दर्द सह कर पिता जी , मुस्कुराते आप थे।खुद रहते भूखे प्यासे हम को खिलाते आप थे।पिता छांव बरगद
Read Moreमां से बढ़ कर कुछ नहीं, मां है ईश समान। मां से ही संसार है, तीन लोक की शान।। मां
Read Moreनहीं चाहिये ऐसा जीवन, जिस में नहीं है प्यार भरा। नफरत करता फिरता हो, मन में रहा हो खार भरा।
Read Moreउगता हर दिन सूर्य ज्यों, ऐसे उठिये आप। मन से कसरत कीजिए , करो नहा के जाप।।
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