मुक्तक/दोहा श्लेष चन्द्राकर 07/05/202109/05/2021 दोहे श्लेष के… (1) हार नहीं स्वीकार तू, मुश्किल से लड़ मीत। मन में जोश उमंग हो, तब मिलती है जीत।। (2) मन Read More
गीतिका/ग़ज़ल श्लेष चन्द्राकर 14/02/202119/02/2021 ग़ज़ल तुम छोड़ दो अब मौत का सामान बनाना। इस बाग़ को मत भूल के वीरान बनाना। आसान है बहला के Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य श्लेष चन्द्राकर 22/10/202022/10/2020 ग़ज़ल जब बिछा के वे जाल जाते हैं चार दाने भी डाल जाते हैं घर का गुस्सा यहाँ तो साहिब लोग Read More
गीतिका/ग़ज़ल श्लेष चन्द्राकर 18/09/202030/09/2020 ग़ज़ल दूर मुझसे बहुत खुशी है अभी रूठी रूठी सी ज़िन्दगी है अभी हर तरफ देख तीरगी है अभी बाँटना तुझको Read More
गीतिका/ग़ज़ल श्लेष चन्द्राकर 09/08/202010/08/2020 ग़ज़ल फ़िदा तुम पे दिल ये हमारा न होता अगर हुस्न इतना सँवारा न होता नहीं टूटती गर ये पतवार यारो Read More
कवितापद्य साहित्य श्लेष चन्द्राकर 15/06/2020 पेड़-पौधे क्यों काटते हो पेड़ पौधे, याद रखिए भूल है। देते हमें फल गोंद औषध, और लकड़ी फूल है।। ताजा हवा Read More
गीतिका/ग़ज़ल श्लेष चन्द्राकर 10/06/2020 ग़ज़ल आजकल गुमसुम बहुत रहता हूँ मैं कैसे कह दूँ दोस्तो अच्छा हूँ मैं पूछता कोई नहीं कैसा हूँ मैं इस Read More