गीत – शाश्वत सत्य
जीवन का प्रतिपल विशेष है, जब तक हिय में नेह -लेश है। बादल कितनी कमर कसें पर, लुप्त हुआ क्या
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Read Moreअमित अमीत अधूत आज क्यों , मनमानी कर उतराये हैं ? समीकरण क्यों बदल रहे हैं, समदर्शी क्यों घबराये हैं
Read Moreथी निर्भया या दामिनी, या मात्र नारी याचिनी। सृष्टि – अभया दिव्य पूजित, दुख सह रही जग- दायिनी।। कैसी विधा
Read Moreक्या वेदना जग की सुना दूँ , या प्रीत का उपहार दूँ । या मौन तोड़ू
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