गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

लहू का रंग इक जैसा, चली तलवार जाने क्यूँ।
वही मौला वही कृष्णा, बँटे घरबार जाने क्यूँ।।

सिसकता खूबसूरत जग, बना, जगतार जाने क्यूँ।
सजा का समझता है, स्वयं को, हकदार जाने क्यूँ ।।

लगी है आग नफरत की, धुआँ आतंक दहशत का।
दिखाता रोज ऐसी ही, खबर अखबार जाने क्यूँ।।

चलो मिलकर मिटा दे हम, असलहों के जखीरे ही।
अमन की नींद आयेगी, सजाता खार जाने क्यूँ।।

पिलाया दूध गंगाजल, भरे हैं पेट फसलों से।
मिटाते हो हसीं कुदरत, यही उपहार जाने क्यूँ।।

डुबोये हैं कई महिवाल, जब जब सोहनी डूबी।
उठा सैलाब पीने प्यार की, पतवार जाने क्यूँ ।।

जला दो जिस्म, उल्फत तो, जवां है रूह में फिर भी
जमाना ही मिटाता है, हमेशा प्यार जाने क्यूँ ।।

शुभा शुक्ला मिश्रा ‘अधर’

शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'

पिता- श्री सूर्य प्रसाद शुक्ल (अवकाश प्राप्त मुख्य विकास अधिकारी) पति- श्री विनीत मिश्रा (ग्राम विकास अधिकारी) जन्म तिथि- 09.10.1977 शिक्षा- एम.ए., बीएड अभिरुचि- काव्य, लेखन, चित्रकला प्रकाशित कृतियां- बोल अधर के (1998), बूँदें ओस की (2002) सम्प्रति- अनेक समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में लेख, कहानी और कवितायें प्रकाशित। सम्पर्क सूत्र- 547, महाराज नगर, जिला- लखीमपुर खीरी (उ.प्र.) पिन 262701 सचल दूरभाष- 9305305077, 7890572677 ईमेल- vshubhashukla@gmail.com