एक भिखारी की आत्मकथा
उस भिखारी से यह मेरी पहली मुलाकात नहीं थी, इसके पहले भी हम दो बार मिल चुके थे। अपने ही
Read Moreउस भिखारी से यह मेरी पहली मुलाकात नहीं थी, इसके पहले भी हम दो बार मिल चुके थे। अपने ही
Read Moreचार दिनों से मैं भारत दूर संचार निगम लिमिटेड के आफिस का चक्कर लगा लगा कर थक चुका था। आज
Read Moreहादसा जब हुआ, मैं अठारह की थी और मैट्रिक की परीक्षा की तैयारी में लगी हुई थी। ” अच्छे नम्बर,
Read Moreखैरी गैया की आँख से बहते आँसू देख अचानक से बासु चौंक उठा था। तत्काल उसे समझ में नहीं आया
Read Moreअगर मैं सर्विस में न होता तो लेखक न होता और लेखक न होता,तो एक बड़ा ठेकेदार होता और हजारों
Read Moreउस दिन हीरालाल ने आशा को गोद में क्या उठाया, लगा उसने पारसनाथ पहाड़ को ही उठा लिया है और
Read More” पानी पीना छानकर, अतिथि बनना जानकर !” बचपन में कही मां की यह बात उम्र पचपन में मुटरा बाबू पर
Read More“पता नहीं इन मर्दों की अक्ल कब ठिकाने आएगी,कब तक वे अपनी पत्नियों को गुलाम समझते रहेंगे । युग बदलता
Read Moreअखबार में दिए वैवाहिक विज्ञापन के बाद जिन सात लड़कियों की तस्वीरें आई थी,वे सब के सब मेघराज के आगे
Read Moreएक पल को लगा पूरी पंचायत को सांप सूंघ गया हो…! ” अगर हमर साथ भेद भाव होतअ आर नियाय
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