ग़ज़ल
उन्हें पता है, जिसने बीज विष के बोये हैं कैसे-कैसे अबतक किसान, देश के रोये हैं। बन रहे महलों के
Read Moreपरिचर्चा प्राकृतिक आपदाएँ : हम बुलाएँ या खुद चलकर आएँ हमारी भारतीय परम्परा का उद्घोष रहा है कि –“यथा पिंडे
Read More[ कृषि-प्रधान देश में किसानों की दुर्दशा एवं आत्म हत्यायों की मजबूरी ने आखिरकार कलम उठाने को मजबूर कर ही
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Read Moreगाँव के बेवा बुधिया की लाश बीच चौराहे पर पड़ी है, शायद कुछ लोग श्मशान ले जाने की तैयारी में
Read Moreभारत भिखारियों का देश यही है आधुनिकता के लिवास में लिपटे लोगों का सन्देश सच में भिखारी हैं सर्वव्यापक कौन
Read Moreसृष्टि का बड़ा ही अद्भुत खेल है, जीव जबतक जड था तबतक न तो भूख-प्यास थी और न ही शरीर
Read Moreजिन अंग्रेजों और उनके विचारों के विरुद्ध वीरों ने जान गंवाई थी, जिन के बर्बर कुशासन से देश को आजादी
Read Moreचूने में लिपटा कोयला भी सफेद दीखता है और बच्चा, जो भी देखता है वही सीखता है कहने भर को
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