कुछ दोहे
फागुन आयो रे सखी, आओ डाले रंग होली खेलेंगे चलो, कान्हा जी के संग ! (१) फागुन लेकर आ गया,
Read Moreसरस्वती माँ के पावन पूजन पर्व “बसंत पंचमी ” पर माँ के चरणों में एक वन्दना : सरस्वती माता तुझे,
Read Moreअक्सर सभी सोचते हैं कि मुख की बीमारी का और अंगों से क्या लेना देना, परन्तु कहते हैं “मुख पुरे
Read Moreसुनो नव वर्ष इस तरह से आना जीवन में सबके खुशियां लाना ! खोये रहते जो अंधेरों में हमेशा
Read Moreमुझे नदिया न समझ लेना समन्दर हूँ मैं तो इक गहरा ! बड़े ही धोखे है खाया हुआ मासूम सा
Read Moreहम तो इक “हक” समझकर मांगते रहे उनसे, क्या मालूम था कि वो तो “भीख” समझकर देते रहे हमेशा !
Read Moreईश्वर तेरे खेल भी निराले हैं जीवन में किसी के उजाले हैं किसी और दर दर भटक रहा कोई मिलते
Read Moreहारने से क्यों डरते हो तुम , हार से हार मत मानो तुम यदि जीवन में कुछ करना है हासिल
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