ख्वाब की किरचें – सुधीर मौर्या
वक़्त ने मेरी बाह थाम कर मेरी हथेली पर अश्क के दो कतरे बिखेर दिए मेरे सवाल पर बोला ये
Read Moreवक़्त ने मेरी बाह थाम कर मेरी हथेली पर अश्क के दो कतरे बिखेर दिए मेरे सवाल पर बोला ये
Read More8. स्वाधीनता की बलवेदी पर व्यग्र कर्ण देव टहलते हुए चिल्लाए, ”कोई है, कोई है?“ प्रहरी भाग के आया और अभिवादन
Read Moreछोटू चाय की केतली और प्लास्टिक का गिलास लिए लाज की पहली मंजिल के कमरा नंबर 102 का दरवाज़ा खटखटाता
Read Moreओ सुजाता ! मै तकता हूं तेरी राह और चखना चाहता हूं तेरी हाथ की बनी खीर देख मै नही
Read More7. आन्हिलवाड़ में नर संहार 1299 में बीस हजार घुड़सवारों सहित एक विशाल सेना लेकर नुसरत खाँ और उलूग खाँ राजधानी
Read More6. षड्यंत्र के सूत्रधार राजसी सवारियाँ मार्ग के किनारे निर्मित धर्मशाला के सामने रूकी। अग्रगामी घुड़सवारों ने राजसी स्त्रियों के आने
Read More5. जंग की मंत्रणा एक ऊँचे तख्त पर सुल्तान अलाउद्दीन बैठा है। और उसके सामने कालीन पर उसके मुख्य दरबारी
Read More4. कामुक सुल्तान का हरम यह दिल्ली के सुल्तान का विशेष हरम था। जहाँ उसने कई बेगमें और रखैले इकट्ठी कर
Read More3. आन्हिलवाड़ के अंतःपुर में पिता-पुत्री राय कर्ण देव का अपना कक्ष। हाथ में मदिरा से भरा स्वर्ण गिलास। विचारमग्न होकर
Read More2. पाटन का रुष्ट ब्राह्मण दिल्ली की गलियों में दिल्ली की राजसी सड़कों पर एक ब्राह्मण धीरे-धीरे चल रहा था।
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