7. आन्हिलवाड़ में नर संहार
1299 में बीस हजार घुड़सवारों सहित एक विशाल सेना लेकर नुसरत खाँ और उलूग खाँ राजधानी पाटन की सीमा पर आ धमके। आते ही उन्होंने नगर में मार-काट और लूटमार चालू कर दी। नगर रक्षक सैनिकों ने प्रतिरोध किया किंतु असफल रहे और मारे गए। राजा कर्ण देव अपने परिवार के साथ किले के अंदर चले गए। मुस्लिम सेना ने किले पर भीषण आक्रमण किया और कई रक्षा सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। राजा असहाय अपने ही किले में कैद हो गया।
नुसरत खाँ ने एक सैन्य टुकड़ी सोमनाथ मंदिर को ध्वस्त करने के लिए भेजी जिसका संचालन सुल्तान के भाई उलूग खाँ ने किया। मंदिर की सुरक्षा में तैनात सैनिकों ने घनघोर युद्ध किया और जब तक उनमें से एक भी जीवित रहा मुस्लिम सेना मंदिर की सीमा में दाखिल न हो पाई। रक्षा सैनिकों के मरते ही उलूग खाँ अल्लाह हो अकबर कहता हुआ मंदिर की तरफ झपटा। मंदिर में उपस्थित पंडे और पुजारियों ने त्रिशूल और नेजे लेकर उलूग खाँ पर टूट पड़े। पर मुस्लिम सेना ने संख्याबल अधिक होने के कारण उन सब पुजारियों को काट डाला। सोमनाथ का पवित्र मंदिर ध्वस्त कर दिया गया। और विजयी उलूग खाँ भगवान सोमनाथ की मूर्ति के टुकडे़ और अपार दौलत लेकर खेमे में वापस पहुँचा।
यूँ सुल्तान के ये इच्छा पूरी करके अब नुसरत और उलूग खाँ ने किले को फतह करने पर पूरा ध्यान लगाया। सुल्तान की दूसरी सबसे बड़ी इच्छा कमलावती अभी भी मुस्लिम सेना के हाथ न आई थी। कई दिन तक मुस्लिम सेना और राजा के सैनिकों में युद्ध चलता रहा।
राजा कर्ण के सैनिकों की वीरता के कारण नुसरत खाँ जब किला जीतने में नाकाम रहा। तब उसका क्रोध नगर की जनता पर टूटा। न जाने कितने बच्चे भालों से छेद दिए गए, सोलह वर्ष से ऊपर की आयु के सभी युवकों को मौत के घाट उतारा जाने लगा। तमाम पुरुषों के पुरुषांग को काट कर उन्हें हिजड़ा बनाकर खेमों में लाया गया। जो भी खूबसूरत और जवान स्त्री मिली उसके साथ बेरहमी से बलात्कार किया गया। इन खबरों ने राजा कर्ण देव को विचलित कर दिया।