कविता

भूख ही सत्य है

आकाश उड़ रहा है

चिडिया के संग .

चोच में तिनके की  तरह दबा हुआ  .है .
आईने से चुराया हुआ  एक टुकड़ा  प्रतिबिम्ब ..
डर है ..छूट  न जाये ..
चिड़ियाँ  कही गिर न जाये ..
शीशे की तरह वह टूट  न जाये ..
 प्रतिबिम्ब में एक घोसला है ..
और घोसले में अंडो के भीतर
साँस ले रहा है ..धरती  का सत्य .
सपनों की तरह पल भर में
मीलों  दूरी …तय कर रहे है पंख …
टहनियों के पत्ते .हवा से कह रहे है ..
रुक जावो ..
.वृक्ष  हाथो को फैलाये ताक रहा है  ऊपर …..
शायद गुलेल के निशाने पर है चिडिया … .
अच्छा हो इस बार भी निशाना चूक  जाये ..
बच जाये चिडिया …
और प्रतिबिम्ब का एक टुकडा भी …
घोसलें  में अभी -अभी जन्मी नन्ही चिडिया भी..
बंद आँखों से.. क्या ….?
देखना चाह रही है अपना .. प्रतिबिम्ब …
लेकीन …खुले चोंच को दानो का इंतजार है …
भूख ही सत्य है 
 
किशोर कुमार खोरेन्द्र 

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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