यमराज का सुझाव : स्व पिंडदान
हास्य – यमराज का सुझाव : स्व पिंडदान सचमुच मित्र क्या होता है?यह पूरी तरह मैं आज ही समझ पाया,गुस्से
Read Moreहास्य – यमराज का सुझाव : स्व पिंडदान सचमुच मित्र क्या होता है?यह पूरी तरह मैं आज ही समझ पाया,गुस्से
Read Moreहास्य यमराज का सुझाव : स्व पिंडदान*********सचमुच मित्र क्या होता है?यह पूरी तरह मैं आज ही समझ पाया,गुस्से के साथ
Read Moreअभी अभी मेरे मित्र यमराज पधारेखुश इतना थे जैसे तोड़ लिए हों चाँद तारे।मैंने हमेशा की तरह प्यार से बिठाया,
Read Moreअभी अभी मेरे मित्र यमराज पधारे खुश इतना थे जैसे तोड़ लिए हों चाँद तारे।मैंने हमेशा की तरह प्यार से
Read Moreजिसे पुस्तिका के लेखक विजय प्रताप शाही ‘विजय’ ने खुले मन से स्वीकार किया है। लेखक की भावनाओं को महसूस
Read Moreऐ मृत्यु! तू इतना सकुचाती क्यों है?पास नहीं आती क्यों है?क्या गिला शिकवा शिकायत है हमसे?जो रुठी हुई दूर रहती
Read Moreसौभाग्य की बात है कि यमराज मेरा यार हास्य-व्यंग्य काव्य-संग्रह की समीक्षा करने का सुअवसर मुझे प्राप्त हुआ है। हालांकि
Read Moreवैसे तो किसी भी पुस्तक की समीक्षा लिख पाना मेरे लिए अत्यंत दुष्कर कार्य है, फिर भी एक असफल प्रयास
Read Moreसुधीर श्रीवास्तव दादा जी द्वारा सृजित हास्य व्यंग्य काव्य संग्रह “यमराज मेरा यार” लोक रंजन प्रकाशन प्रयागराज द्वारा प्रकाशित है।
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