दोहा मुक्तक
अवसर अवसर आया देखिए, लीला प्रभु की जान।जिसका जैसा भाव है, वैसा उसका मान।आज अवध में सज रहा, भव्य राम
Read Moreअवसर अवसर आया देखिए, लीला प्रभु की जान।जिसका जैसा भाव है, वैसा उसका मान।आज अवध में सज रहा, भव्य राम
Read Moreअब आप इसे क्या कहेंगे?बदलाव की बयार या समय की विडंबना।आप कुछ भी कहने के लिए स्वतंत्र हैंपर बड़ा प्रश्न
Read Moreचिलचिलाती धूप, असहनीय गर्मी का प्रहारव्याकुल है हर प्राणी, पशु-पक्षी, पेड़़-पौधेकीड़े-मकोड़े, कीट पतंगे सब असहाय से हो गये हैं,किससे कहें
Read Moreधार्मिक मंगल को मंगल करो, पवनपुत्र हनुमान।चाहे ज्ञानी संत हो, या कोई अज्ञान।। दर पर भारी भीड़ है, हनुमत जी
Read Moreवैसे तो प्रस्तुत ‘एकांकृति’ युवा कवयित्री अर्तिका श्रीवास्तव का प्रथम काव्य संग्रह है। कंप्यूटर साइंस में बी-टेक और एम. बी.
Read Moreबाल मन को समझना इतना आसान नहीं होता, जितना हम आप मान लेते हैं, बाल मनोविज्ञान को समझने के लिए
Read Moreआज दोपहर मित्र यमराज आया बिना किसी सभ्यता के बार-बार द्वार खटखटाया,भन्नाते हुए श्रीमती जी ने द्वार खोला उन्हें देख बेचारे के
Read Moreअभी-अभी मित्र यमराज मेरे पास आया और बड़े प्यार से फरमाया-प्रभु! आपको यमलोक चलना है।मैं चकराया – कहीं भाँग खाकर तो
Read Moreवास्तव में मैं दुखी हूँ,क्यों दुखी हूँ, ये भी खुद ही बता रहा हूँ,आपके लिए भले इसका कोई मतलब न
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