ये कैसा तमाशा हो रहा है पूछताछ कम छापा ज्यादा पड़ रहा है, बेनामी संपत्तियां, आभूषण, नकदी खूब निकल रहा है, मगर लोकतांत्रिक संस्थाओं की आड़ में राजनीति का खेलने का विधिवत आरोप प्रत्यारोप चल रहा है जितना बड़ा भ्रष्टाचारी वो उतना ही पाक साफ होने की रट लग रहा है दुनिया में सबसे मजलूम […]
Author: *सुधीर श्रीवास्तव
अंत:करण
अंत:करण यानी अंतर्मन से निकले भावों की गूंज, स्वर, भाव अक्सर हमें सुनाई नहीं देते या हम जानबूझ कर अनसुनी कर देते,अबूझ मान लेते हैं या महज भ्रम अथवा बकवास मान लेते हैं। अपने अंतस मन के संकेत नहीं समझते खुद पर बड़ा घमंड करते और फिर पछताते हैं। हमारी सोच और अंत:करण की सोच […]
पप्पू को बदनाम न करो
अभी अभी पप्पू का दुख भरा मैसेज आया अपने दुःख दर्द का किस्सा बताया और उलाहना भरे अंदाज में मुझसे ही पूछ लिया।ँ आखिर आप ही बताओ मैं पप्पू हूं तो इसमें मेरा गुनाह क्या है? आखिर ये नाम आप सबने ही तो दिया है ऊपर से मेरा तीन पांचा किया है विदेशी धरती पर […]
मदिरापान
आइए मदिरापान करते हैं आपस में घमासान करते, घर परिवार तबाह करते हैं अपना नाम करते हैं। जिंदगी से खिलवाड़ करते हैं लोगों की जुबां पर चढ़ते हैं मदिरापान नशा नहीं शान से दुनिया को बताते हैं, मदिरा हमसे नहीं हम मदिरा से हैं यही पैगाम देते हैं, राष्ट्र के विकास में मदिरापान से हम […]
स्मृति शेष
आंखें नम हैं एक मुलाकात बस आखिरी हो गई पुनर्मिलन की उम्मीदें दिवास्वप्न सी हो गईं, सहसा विश्वास करना कठिन लगता है पहली और आखिरी मुलाकात का दृश्य डबडबाई आंखों में जैसे चलचित्र बन घूमता है। एक और मुलाकात का वादा भी हम दोनों का था, जिसमें वादों से ज्यादा आत्मविश्वास झलकता था अब […]
तुम गैर कहां लगते हो
तुम्हें ऐसा क्यों लगता है तुम गैर हो तुम तो अपने से लगते भर नहीं तुम तो अपने ही हो, हमारे रिश्ते गैर हो सकते हैं पर वास्तव में हैं नहीं क्योंकि हमारे रिश्तों की डोर भावनाओं से जुड़े हैं हमारे रिश्तों को मजबूत पहचान दे रहे हैं। सबको पता है कि आज जब खून […]
निर्भीक बनें आक्रामक नहीं
जीवन के भी कुछ उसूल तय कीजिए आक्रामक नहीं निर्भीक जरुर बनिए निर्भीकता हमारे लिए सरल ,सहज है आक्रामकता से मुश्किलें खड़ी होती हैं निर्भीकता कमजोरी नहीं होती आक्रामकता कभी भी जरूरी नहीं होती। निर्भीकता कमजोरी की पहचान नहीं है आक्रामकता आपके पौरुष का स्वाभिमान नहीं है। निर्भीक निडर रहना सीखिए आक्रामकता से चार कदम […]
भारतीय संस्कृति समाज पोषक
आज ही नहीं सदियों से भारतीय संस्कृति समाज का पोषण करती आ रहा है, मानवीय गुणों को पोषणीय बना रही है जन मन ही नहीं, मानव मानव को जाति, धर्म, सम्प्रदाय को सहेजती आ रही है मानवीय मूल्यों को जागृति करती आ रही है विभिन्न समाजों में भाईचारे का सूत्र बन रही है वसुधैव […]
घर परिवार समाज
संसार की परिकल्पना को ईश्वर ने बड़ी खूबसूरती सजाया क्या गज़ब संदेश इसमें छिपाया घर परिवार समाज का अद्भुत सामंजस्य बिठाया। घर के बिना परिवार अधूरा परिवार बिना घर लगे बेचारा घर परिवार से जोड़ दिया समाज को समाज के बिना परिवार का सूना जग सारा। नीरस हो जायेगा हमारा जीवन परिवार में ही कब […]
भारत के लाड़ले बन जाओगे
आप सबको भी अजूबा लग सकता है पर ईमानदारी से कह रहा हूँ अच्छा भला बैठा आंख बंद किए चिंतन मनन कर रहा था, किसकी खिल्ली उड़ाऊँ यही सोच रहा था। तभी फोन की घंटी घनघनाई उधर से बड़ी मधुर आवाज आई, आप तो सबके मददगार हैं तनिक मेरी भी मदद कीजिये भाई। मैंने चौंक […]