विजय दिवस
शुरू हुआ जो युद्ध तीन दिसंबर उन्नीस सौ इकहत्तर को भारत पाकिस्तान के बीच में छुडा़ रहे थे सैनिक भारत
Read Moreप्रकृति की व्यवस्था में भी बहुतेरी विडंबनाएं हैं, यह विडंबनाएं भी कभी कभी होती बहुत दुखदायी होती हैं। माना कि
Read Moreमेरे घर के सामने वाले घर पर जाड़े के दिनों में कभी धूप नहीं आती। एक दिन मैंनें सामने वाले
Read Moreकल से उसकी बहुत याद आ रही थी। अजीब जी बेचैनी थी।ऐसा लग रहा था कि वो किसी संकट में
Read Moreविश्वास कोई वस्तु नहीं अपितु एक भाव है। हर किसी के विश्वास का स्तर और आत्मविश्वास का मापदंड अलग होता
Read Moreस्तब्ध रह गया धरा गगन मौन हो गये जन के बोल, निष्ठुर ईश्वर तूने खेला क्यों ऐसा अनचाहा खेल। माना
Read Moreअरे बेशर्म मानवों! कितने बेहया हो तुम मगर तुम्हें क्या फर्क पड़ता है तुम आखिर सुनते ही किसकी हो। तुम
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