दंश
आज सर्वाधिक दंश झेल रही हैंहमारी बहन बेटियां,भले ही वो पहुंच रही हैं बुलंदियों परअपने साहस, शौर्य की पहचान से
Read Moreभरी सभा में साड़ी खींचता दुशासनबेबस असहाय द्रौपदीआर्तनाद कर भरी सभा से गुहार करती,पर मौन थे उसके पांचों पतिलज्जा से
Read Moreस्वभाव और संस्कारों के विविध पहलुओं की चर्चा छिड़ जाय तो हर कोई अपना ज्ञान बघारने लगता है लेकिन
Read Moreयह प्रश्न भी बड़ा अजीब हैआज भी जब यह पूछना पड़ता है कि तू कौन है?या मन के किसी कोने
Read Moreहमारे जीवन में सौभाग्य/दुर्भाग्य का समावेशी स्वरूप गतिशील प्रगतिशील होकर साथ साथ चलता रहता है। धर्म ग्रंथों और ज्ञानियों के
Read Moreकहते हैं वक्त अच्छे अच्छों को मौन कर देता है। कुछ ऐसा ही वरिष्ठ क्रिमिनल लायर आशुतोष जी के साथ
Read Moreभूल से नहीं अपनी मूर्खता सेहम खुद को नहीं बचा पाए,क्योंकि हम आज कीआम राजनीति जो नहीं समझ पाए।घर परिवार
Read Moreपत्नी प्रधान क्या बनीमेरा ही नहीं मेरे परिवार का जलवा बढ़ गया,गांव का घर भी जैसेराजधानी दिल्ली बन गया है।सुबह
Read Moreये कैसा समय आ गया हैजब लोग भटक रहे हैं अपने पथ से,मर्यादा लांघ रहे हैंसंस्कार सभ्यता से दूर हो
Read Moreसमय के साथ हमारा जीवन दिनों दिन तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी पर निर्भर होता जा रहा है। इसी क्रम में
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