कविता
तुम तो व्यस्त हो जाते हो दुनियां के मेले मे कभी दफ्तर में तो कभीं कारोबार के झमेले मे पर
Read Moreएक अजनबी और, कभी अपना सा, दिल की देहरी पर जो, दस्तक देता है बार बार। अजीब सी कश्मकश है,
Read Moreरात्रि का अर्द्धप्रहर नींद है कोसों दूर नयन से यही आभास होता है तुम कही पास ही हो मेरे आ
Read Moreजहां हम तुम मिले थे कभी सागर किनारे देखो खिल उठे हैं वहां फूल प्यारे-प्यारे कह गए थे जहां तुम
Read Moreखुश नही रहता वो कभी, बांधे फिरता है जो, गठरी उम्मीदों की, साथ वक़्त के ये, बढ़ती जाती है, होती
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