क्षणिका

प्यार

कभी तेरी बातें कभी तेरी भावनाएँ मुझे तरसाती हैं दिन-रात वक्त-बेवक्त बार-बार सोचने लगा तभी मैं समझा वही तो प्यार है जो मुझे तुमसे है — सुराज दिलशान बालगे, श्री लंका