ग़ज़ल
यूँ ना बेमतलब मुझे सताया करो बेवजह झूठी आस ना दिलाया करो भँवरा बन फूलों पर, मँडराते हो यूँ ना
Read Moreमानवता? ये मानवता क्या होती है बचपन से लेके आज तक हर ऋत हर मौसम देखे ना देखना था वो
Read Moreहसरतों का मैंने आज क़त्लेआम कर दिया लाल सुर्ख़ आँखों ने ये पैग़ाम भर दिया कभी बसते थे जो इन
Read More(बलात्कार से पीड़ित एक नारी की कहानी) मेरी मन की पीड़ा न जाने कोई मुझे ना यहाँ समझ पाए कोई
Read Moreएक पत्थर को मैंने रास्ते से उठाया मेरे सपने के राजकुमार सा उसे सजाया करती रही जिसकी ज़िंदगी भर पूजा
Read Moreतुम कुछ कहो या ना कहो फिर भी तुम्हें ही सुनती हूँ मैं तुम साथ रहो या ना रहो फिर
Read Moreख़ामोशियों की भी अपनी एक ज़ुबान होती है कुछ ना कहकर भी सब कुछ कह देती है ख़ामोशी दिल को
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