कविता : आज का मानव
आज का मानव ,मानव को इसी तरह खा रहा है जिस तरह किट-पतंगे (दिमक) घर की दीवारों को खा जाते
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Read Moreआज हमे जरूरत है जीवन में कुछ अच्छे संस्कार की संस्कार ही एकमात्र औषधि है व्याकुल संसार की .. .हम
Read Moreजिनके जीवन का लक्ष्य बनावटी,व्यापार,आवरण ,अभिनय , एक्टिंग ,प्रदर्शनी हो वहां सरल,सहृदय ,सच्चा स्नेही आदमी सुख शांति से नहीं
Read Moreक्यों छोड़ दें हम अपने जीने का अंदाज । क्या है हमारे पास इस अंदाज के सिवा। क्यों छोड़ दें
Read Moreदफ्तर के ऑफिसर ने दिवाली के दिन एक कर्मचारी की रिश्वत को लौटा दिया ये देख ऑफिसर की बीवी का
Read Moreलोहे के काम में टाटा जुते के काम में बाटा दुनियां में इतना नाम कर रहे है और हम निट्ठले
Read Moreप्रेम कोई रूप नहीं ,जिसको हम देख सके प्रेम कोई शब्द नहीं ,जिसको हम छु सके प्रेम कोई गहराई ,जिसको
Read Moreसच बताना मेरे भाई, मुझे मारकर क्या करोगे आँखे खोल कर देखो तुम, मेरे चमड़े का क्या करोगे मैं आई
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