प्रेम का अतिरेक
जीवन भर सालता है। बनता प्रगति में रोड़ा, अज्ञात भय पालता है।। मात पिता का लाड़, संतान के लिए बाधा।
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Read Moreरंगों की ये, होली हम सब, खेल सकेंगे, क्या उमंग से? पड़ी है सारी, गलियां सूनी, मित्र भी नहीं, कोई
Read Moreपालन पोषण के लिए जगत में, दो चीजें अनमोल हैं होती। शैशव काल में दुग्धपान और,
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