कविता – फैशन का नया जमाना
गाँव जवार उजड़ रहे हैंशहर बना नई आशियानाखेती बाड़ी कौन करे अबफैशन का नया जमाना गाँव की मिट्टी रो
Read Moreगाँव जवार उजड़ रहे हैंशहर बना नई आशियानाखेती बाड़ी कौन करे अबफैशन का नया जमाना गाँव की मिट्टी रो
Read Moreबेईमानोंं के देश मेंबेईमान बना है राजाबेईमानी की नीत प्रखरबेईमानी है जहाँ काजा ईमान की डूबी नैय्याप्रजा हुए हलकानभूखे मरते
Read Moreकुदरत क्यूँ हमसे नाराज हैये कैसा वर्षा का आगाज हैकिस भूल की सजा दे रही हैगाँव शहर सब डूबो रही
Read Moreउम्मीदों का शहर है मेरा ठिकानाहर चेहरा है जहाँ पे अनजानाफिर भी आशा की दीप जलायेनई संसार की ओर पाँव
Read Moreपाप की जो करी है कमाई तेरे काम ना अयेगीबेईमानी से अर्जित आई पाप के घर ही जायेगीमत कर तुम
Read Moreजब तक सूरज चाँद रहेगासत्यमेव जयते जग में गुँजेगासागर इसे डूबो सकता नहींमिट्टी दफन कर सकता नहीं सत्य की राज
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