प्रेम दीप
दिल की चिराग जलाये बैठा हूँ रात बहुत अंधियारी है आँखों से नींदिया है गायब सुबहा की
Read Moreऑंखों से पिला दे साकी अपनी हुस्न की ये जाम होश मेरा खो जाये तब दिन हो या हो जाये
Read Moreजग में फलीभूत हो रही है अपराध मस्ती में है अपराधी की हर बात कौन दे रहा है इसे
Read Moreमैं हूँ एक कप गरम गरम चाय मुझे जो पीये थकान दूर हो जाय पहाड़ी की हूँ अल्हड़ एक रानी
Read Moreकल तक सारा गुलशन अपना था अपनापन का सुमन खिला था आज वो बातें हो गई एक कहानी गाँव
Read Moreकिस पर करूँ भरोसा जग में हर कोई है मतलब का यार झूठी दुनियाँ ठग है गुणियाँ झूठों
Read Moreहे प्रकृति तुम्हें प्रणाम तुँ ही रब हो तुम भगवान हवा जल मिट्टी से तन को बनाया अन्तिम दिन शमशान
Read Moreख्वाबों की हँसीन रोशनी में कल्पना को रौशन होने दो हसरत की इस आँगन में सतरंगी रग को भरने दो
Read Moreप्यार आँचल में छुपा कर चले आईये बेकरार है कब से दिल पागल मेरा पथ में कॉटे बिछे हों हजारों
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