चालीस पार की औरतें
चालीस पार की औरतें जैसे हो दीमक लगी दीवारें ! चमकदार सा बाहरी आवरण, खोखली होती भीतर से परत -दर -परत। जैसे
Read Moreचालीस पार की औरतें जैसे हो दीमक लगी दीवारें ! चमकदार सा बाहरी आवरण, खोखली होती भीतर से परत -दर -परत। जैसे
Read Moreअँधेरा गहरा होता जा रहा था। वह अब भी डरती -कांपती सी झाड़ियों के पीछे छुपी बैठी थी। तूफान तो आना
Read Moreअनुकरण करते -करते , पद चिन्हों पर चलते -चलते भूल ही गए अपने क़दमों की आहट। मालूम नहीं था एक
Read Moreनन्ही सी पीहू खिड़की में से देख कर ही खुश हो रही थी चिड़ियों का चहचहाना। जब से वह अपने
Read More” टन -टन !!” घंटी बजी। यह स्कूल की आधी -छुट्टी की घंटी बजी है। सभी बच्चे अपने -अपने टिफिन लिए कक्षा
Read Moreएक थी छोटी सी चिड़िया , उड़ती रहती गाँव और शहर की गलियाँ। एक दिन देखे उसने बिखरे दाने बहुत
Read Moreकब्रें विच्चों बोल नी माए दुःख सुःख धी नाल फोल नी माए आंवा तां मैं आमा माए आमा केहरे चावा नाल माँ
Read Moreमैं प्रेम हूँ और तुम भी तो प्रेम ही हो। प्रेम से अलग क्या नाम दूँ तुम्हें भी और मुझे
Read Moreएक चिड़िया एक गुड़िया …. चिड़िया जैसी गुड़िया … और चिड़िया …! चिड़िया जैसी कोई नहीं पर फैलाती उड़ जाती दाना चुगती चहचहाती
Read Moreचारदीवारी में एक बड़ा सा दरवाजा है एक दरवाजा छोटा सा भी हैं ताला लगा है लेकिन वहाँ भीतर की
Read More