गीत
रात जब भी चाँद का, बेंदा लगाती हैसच कहूँ बस प्रिय ,तुम्हारी याद आती हैउस पहर जब चांदनी, आंगन उतरती
Read Moreठहर जाती हैजब कभी तन्हाई मेंइस चाँद पर नज़र………….रोजाना थोड़ा थोडाटूटता ही दीख पड़ता है……सब उसकी कलाएं समझते हैं नहीं समझते तोउसका
Read Moreख्व़ाब में छू कर तुम जो चले गए तन मेरा और निखर सा गया जाने कैसा रंग मेरे कपोलो पर छा सा
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