ग़ज़ल
थोड़ा उस पर मरता हूंथोड़ा जिन्दा रहता हूं।प्यार मिले मुझको उसका,फितरत ऐसी करता हूं।खोना उसका मुमकिन है,इतना तो मैं डरता
Read Moreआखिर क्यों नहीं बन पायेहम सबएक सभ्य नागरिकएक महान देश केबेहद महत्वपूर्णऔर विचार कामुद्दा है यह।सभ्य नागरिक बनानें की दुकानेंआजादी
Read Moreप्रयाग पुस्तक भवन के भव्य काउण्टर पर पुस्तकें देख रहे तुषार को एकाएक अपनी पसंद की पुस्तक मिल गई थी,
Read Moreराघव अपनी पुत्री ऋचा के युवा होने पर उसके लिए एक उपयुक्त वर की तलाश कर रहा था। उसने कई
Read Moreमैंनेअपने पापों के लिएखुद को माफ कर दिया है ।तुम भी माफ कर देनामुझेइस उम्मीद के साथलिख रहा हूं तुम्हें।मुमकिन
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